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निर्जला एकादशी व्रत कथा 2025: भीमसेन की कथा, व्रत विधि, पारण समय और महत्व
प्रस्तावना
निर्जला एकादशी, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी व्रत है। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बिना जल ग्रहण किए उपवास रखने का विधान है, जिससे इसे 'निर्जला' एकादशी कहा जाता है। यह व्रत सभी 24 एकादशियों के बराबर पुण्य प्रदान करता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
🔹 निर्जला एकादशी 2025: तिथि और पारण समय
एकादशी तिथि प्रारंभ: 6 जून 2025 को रात 2:15 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 7 जून 2025 को सुबह 4:47 बजे
पारण का समय: 7 जून 2025 को दोपहर 1:44 से 4:31 बजे तक
वैष्णव पारण: 8 जून 2025 को सुबह 5:23 से 7:17 बजे तक
🔹 निर्जला एकादशी व्रत कथा: भीमसेन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के समय, पांडवों में से भीमसेन को उपवास करना कठिन लगता था। उन्होंने महर्षि व्यास से कहा कि वह सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख सकते। तब व्यासजी ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया, जो सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्रदान करता है।
भीमसेन ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए इस एकादशी को 'भीमसेनी एकादशी' भी कहा जाता है।
🔹 व्रत विधि और नियम
1. पूर्व संध्या तैयारी: व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और मानसिक रूप से तैयार रहें।
2. स्नान और संकल्प: ब्राह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
3. पूजा विधि:
भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
तुलसी पत्र, फूल, फल, पंचामृत आदि से पूजा करें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
4. उपवास नियम: इस दिन अन्न, जल और फल का त्याग करें। केवल आचमन के लिए जल का उपयोग करें।
5. रात्रि जागरण: रात्रि में भजन-कीर्तन करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
6. पारण: द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दान देकर स्वयं पारण करें।
🔹 निर्जला एकादशी के लाभ
सभी एकादशियों का पुण्य: इस व्रत से वर्ष भर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
पापों से मुक्ति: यह व्रत सभी पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
स्वास्थ्य लाभ: उपवास से शरीर की शुद्धि होती है और मानसिक शांति मिलती है।
धन और समृद्धि: इस दिन दान-पुण्य करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
🔹 ज्योतिषीय महत्व और उपाय
2025 में निर्जला एकादशी के दिन गजकेसरी योग बन रहा है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
राशि अनुसार उपाय:
मेष: धार्मिक ग्रंथ और भोजन का दान करें।
वृषभ: ब्राह्मणों को सफेद मिठाई दान करें।
मिथुन: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और पंखा दान करें।
कर्क: फल और दक्षिणा का दान करें।
सिंह: भगवान नरसिंह की पूजा करें।
कन्या: हरी मिठाई और तुलसी पत्र अर्पित करें।
तुला: विष्णु मंदिर जाकर मोगरा फूल अर्पित करें।
वृश्चिक: शंख का दान करें।
धनु: गुलाब शरबत और तुलसी अर्पित करें।
मकर: आम का रस अर्पित करें और आम का दान करें।
कुंभ: मिट्टी के बर्तन में गुलाब शरबत अर्पित करें।
मीन: एकादशी महात्म्य पुस्तक का वितरण करें।
🔹 FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: निर्जला एकादशी का व्रत कब रखा जाता है?
उत्तर: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को।
Q2: क्या इस व्रत में जल पी सकते हैं?
उत्तर: नहीं, यह निर्जल व्रत है; केवल आचमन के लिए जल ग्रहण किया जा सकता है।
Q3: पारण कब और कैसे करें?
उत्तर: द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर, दान देकर स्वयं पारण करें।
🔹 निष्कर्ष
निर्जला एकादशी व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि यह जीवन में अनुशासन, संयम और भक्ति का भी प्रतीक है। इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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