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FASTag की छुट्टी! अब आ रहा GNSS टोल सिस्टम – जानिए नया नियम, प्रोसेस और जुर्माने की जानकारी
FASTag के बाद अब GNSS टोल सिस्टम: नया युग, नया तरीका
भारत में परिवहन व्यवस्था और हाईवे टोल कलेक्शन को और अधिक पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए सरकार अब FASTag की जगह GNSS (Global Navigation Satellite System) आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने जा रही है। अगर आप वाहन चलाते हैं और अभी तक FASTag का उपयोग कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।
केंद्र सरकार की योजना है कि आगामी कुछ महीनों में देशभर में GNSS आधारित टोल प्रणाली को लागू किया जाए। इस सिस्टम के अंतर्गत अब टोल प्लाजा की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वाहन में लगे GNSS ट्रैकर के माध्यम से ही टोल राशि काट ली जाएगी।
तो आइए विस्तार से जानते हैं कि GNSS टोल सिस्टम क्या है, इसका लाभ क्या होगा, इसे कैसे एक्टिवेट करना है और क्या होगा अगर आपने समय पर स्विच नहीं किया।
GNSS टोल सिस्टम क्या है?
GNSS एक उपग्रह-आधारित तकनीक है जो वाहन की लोकेशन को ट्रैक करती है। इस प्रणाली के तहत:
वाहन में एक GNSS डिवाइस या ट्रैकर लगाया जाएगा।
जैसे ही आपका वाहन टोल रोड पर चलेगा, सिस्टम आपकी यात्रा की दूरी मापेगा।
उसी के अनुसार टोल शुल्क स्वतः आपके अकाउंट से कट जाएगा।
यह प्रणाली पे-पर-यूज़ आधारित होगी यानी आप जितना सफर करेंगे, उतना ही टोल देंगे। कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं।
FASTag बनाम GNSS – क्या बदलेगा?
पैरामीटर FASTag GNSS टोल सिस्टम
भुगतान प्रणाली RFID टैग और टोल प्लाजा उपग्रह-आधारित जीपीएस सिस्टम
टोल कटौती फिक्स्ड चार्ज हर टोल बूथ पर दूरी के अनुसार टोल कटेगा
टोल प्लाजा की जरूरत है नहीं
ट्रैफिक और समय लाइन में लगना पड़ता है समय की बचत, बिना रुके यात्रा
GNSS सिस्टम को एक्टिवेट कैसे करें?
सरकार और वाहन निर्माताओं द्वारा इस डिवाइस को वाहन में लगाना अनिवार्य किया जाएगा। अगर आपके पास पुराना वाहन है, तो आप अधिकृत एजेंसी या सर्विस सेंटर के माध्यम से GNSS डिवाइस लगवा सकते हैं। इसके लिए:
1. वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर और आधार कार्ड की जरूरत होगी।
2. बैंक खाते या UPI से लिंक करना होगा ताकि टोल कट सके।
3. मोबाइल एप के माध्यम से आप अपनी यात्रा और खर्च की जानकारी देख सकेंगे।
समय पर स्विच नहीं किया तो क्या होगा?
अगर आपने सरकार द्वारा निर्धारित समयसीमा में GNSS टोल सिस्टम पर स्विच नहीं किया, तो आपके ऊपर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही वाहन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
सरकार का उद्देश्य टोल व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और बिना बाधा के बनाना है। पुराने सिस्टम में टोल चोरी और समय की बर्बादी जैसी समस्याएं होती थीं, जिन्हें GNSS सिस्टम दूर करेगा।
GNSS टोल सिस्टम के फायदे:
लंबी कतारों से छुटकारा: अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं।
कम टोल शुल्क: दूरी के अनुसार टोल, जिससे छोटी यात्राओं पर कम खर्च होगा।
पारदर्शिता: हर ट्रांजेक्शन की जानकारी आपको मिलेगी।
इंधन की बचत: टोल प्लाजा पर वाहन रोकने से बचने पर ईंधन की भी बचत होगी।
प्रदूषण में कमी: स्मूद ट्रैफिक फ्लो से वायु प्रदूषण में कमी।
निष्कर्ष
GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम भारत में सड़क परिवहन की दिशा में एक बड़ी क्रांति है। यह न केवल टोल भुगतान को आसान बनाएगा, बल्कि समय, पैसा और ईंधन तीनों की बचत करेगा। अगर आप चाहते हैं कि आगे चलकर किसी भी परेशानी से बचा जा सके, तो अभी से इस नई तकनीक को अपनाना शुरू कर दें।
सरकार जल्द ही
अंतिम तारीख की घोषणा कर सकती है, इसलिए सतर्क रहें, अपडेटेड रहें और जुर्माने से बचें।
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