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"बायजू रवींद्रन की कहानी: एक ट्यूशन टीचर से अरबपति और फिर खाकपति बनने तक का सफर"
📘 बायजू रवींद्रन की बर्बादी की कहानी: जब एक फैसला छीन लेता है सबकुछ
बायजू रवींद्रन, एक ऐसा नाम जो कभी भारत की सबसे बड़ी एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी BYJU'S के संस्थापक और सीईओ के रूप में जाना जाता था। एक वक्त था जब उनकी नेटवर्थ ₹1.88 लाख करोड़ तक पहुंच गई थी, और BYJU'S भारत की सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप बन चुकी थी। लेकिन कुछ गलत फैसलों, जल्दबाज़ी में किए गए निवेशों और विवादों ने उन्हें आज उस मुकाम पर ला खड़ा किया है, जहां कंपनी कर्ज में डूबी हुई है और उनकी खुद की नेटवर्थ लगभग शून्य के आसपास पहुंच गई है।
📚 शुरुआत एक सामान्य शिक्षक से
बायजू रवींद्रन का जन्म केरल में हुआ था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे और प्रोफेशन से इंजीनियर थे। पढ़ाई के प्रति उनका जुनून इतना ज्यादा था कि उन्होंने नौकरी छोड़ कर छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। शुरुआत ट्यूशन से की और फिर कुछ ही सालों में उनके पढ़ाने के तरीके और समझाने की कला ने उन्हें हजारों छात्रों का चहेता बना दिया।
🚀 BYJU'S की उड़ान
2011 में बायजू ने अपने टीचिंग स्किल को डिजिटल फॉर्म में बदलने का फैसला लिया और लॉन्च किया BYJU'S – The Learning App। ऐप की शुरुआत में ही उसे जबरदस्त सफलता मिली। पढ़ाई को गेमिफाई कर देना, ऐनिमेशन और इंटरएक्टिव वीडियो के जरिए पढ़ाना – ये सब कुछ भारतीय एजुकेशन सिस्टम के लिए नया था।
जल्द ही कंपनी को बड़े-बड़े निवेशकों से फंडिंग मिलनी शुरू हुई – General Atlantic, Sequoia Capital, और सबसे बड़ा नाम Mark Zuckerberg की Chan-Zuckerberg Initiative। देखते ही देखते BYJU’S की वैल्यूएशन ₹1.88 लाख करोड़ के पार चली गई। बायजू रवींद्रन फोर्ब्स के कवर पेज पर आ चुके थे, और उन्हें भारत का “एजुकेशन रिवोल्यूशनरी” कहा जाने लगा।
⚠️ गलत फैसले और फिसलती सफलता
पर कहते हैं ना, ज्यादा ऊंची उड़ान कभी-कभी गिरावट की शुरुआत होती है। बायजू और उनकी टीम ने कई कंपनियों का अधिग्रहण किया जैसे कि Aakash Institute, WhiteHat Jr, Great Learning आदि। लेकिन ये अधिग्रहण रणनीतिक रूप से उतने कारगर साबित नहीं हुए।
WhiteHat Jr को लेकर कई विवाद हुए – बच्चों को कोडिंग सिखाने के नाम पर किए गए दावों की आलोचना हुई। वहीं Aakash Institute का अधिग्रहण भी भारी कर्ज लेकर किया गया था।
BYJU'S पर लगातार कर्ज बढ़ता गया, लेकिन रेवेन्यू स्थिर रहा। कर्मचारियों की छंटनी, भुगतान न कर पाने के आरोप, टैक्स छापे और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मुद्दों ने कंपनी की साख को गिरा दिया।
🏚️ जब अरबों की कंपनी खाक में बदल गई
2023 के अंत तक BYJU'S की वैल्यूएशन ₹22,000 करोड़ से भी नीचे आ गई, जो एक वक्त ₹1.88 लाख करोड़ थी। बायजू रवींद्रन को CEO पद से हटाने की मांग उठी। निवेशकों ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। खुद रवींद्रन को अपने कई शेयर गिरवी रखने पड़े और निजी संपत्ति बेचनी पड़ी।
BYJU'S अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। और बायजू रवींद्रन, जो कभी भारत के सबसे तेज़ी से उभरते अरबपति थे, अब वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं।
🧠 क्या सबक मिलता है इस कहानी से?
1. गति से ज्यादा दिशा जरूरी है: तेज़ी से बढ़ने की चाह में अगर दिशा गलत हो, तो मंज़िल बर्बादी हो सकती है।
2. हर डील फायदेमंद नहीं होती: अधिग्रहण और विस्तार सोच-समझकर करना चाहिए, नहीं तो कंपनी का संतुलन बिगड़ सकता है।
3. पारदर्शिता जरूरी है: निवेशकों और ग्राहकों के बीच विश्वास बनाए रखना हर बिजनेस के लिए अनिवार्य है।
4. ईगो नहीं, अनुभव काम आता है: आलोचना सुनना और गलतियों से सीखना ही सच्चा नेतृत्व होता है।
✍️ निष्कर्ष
बायजू रवींद्रन की कहानी एक ऐसी मिसाल है जो यह दिखाती है कि सफलता के शिखर पर पहुंचना जितना कठिन है, उससे कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है वहां टिके रहना। यह कहानी प्रेरणा तो देती ही है, साथ ही यह भी सिखाती है कि सही फैसले, पारदर्शिता और संतुलित विकास ही किसी भी बिजनेस को लंबा जीवन दे सकते हैं।
अगर आप उद्यमिता, स्टार्टअप्स और फाइनेंशियल लर्निंग में रुचि रखते हैं, तो इस तरह की कहानियां आपके लिए एक आइना बन सकती हैं।
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#BYJUS #उद्यमिता_सीख #बिजनेस_गिरावट #प्रेरणादायक_कहानी
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