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RBI के नए नियम: अब चेक क्लियरेंस सिर्फ घंटों में – जानिए फायदे और सावधानियाँ"

  RBI के नए नियम: अब चेक क्लियरेंस सिर्फ घंटों में – जानिए फायदे और सावधानियाँ" परिचय बैंकिंग की दुनिया में अब बदलाव की राह दिखने लगी है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे चेक क्लियर होने का समय अब केवल दो दिनों तक सीमित नहीं रहेगा। यदि आप चेक उपयोग करते हैं, तो यह सूचना आपके लिए बेहद जरूरी है। RTC (Continuous Clearing)… एक क्रांतिकारी सेवा नया सिस्टम क्या है? RBI ने फेज़-1 में 4 अक्टूबर 2025 से और फेज़-2 में 3 जनवरी 2026 से, “Continuous Clearing and Settlement on Realisation” नामक सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। इस बदलाव से अब चेक क्लियर करने का समय घटकर घंटों में हो जाएगा—जिसकी शुरुआत सिर्फ दो कार्य दिवस तक के समय से होती है । फेज़-1: क्या होगा? चेक 10 AM से 4 PM के बीच बैंक को जमा करवाने पर तुरंत स्कैन करके क्लियरिंग हाउस को भेजा जाएगा। भुगतान बैंक को 7 PM तक चेक के सम्मान (honour) या अस्वीकृति (dishonour) की जानकारी देनी होगी। यदि उत्तर नहीं मिलता, तो चेक स्वतः ही स्वीकृति मान लिया जाएगा और क्लियर हो जाएगा । फेज़-2: T+3 घंटे का आश...

दिल्ली की 'खूनी नहर' – तीन साल में 91 लाशें, क्या है मौतों का रहस्य?

 


दिल्ली की 'खूनी नहर' – तीन साल में 91 लाशें, क्या है मौतों का रहस्य?

परिचय

दिल्ली का नाम सुनते ही आधुनिकता, भीड़ और विकास की तस्वीर सामने आती है। लेकिन इसी दिल्ली के पूर्वी छोर पर स्थित एक नहर, जिसे अब लोग 'खूनी नहर' के नाम से पुकारते हैं, खौफ और रहस्य का पर्याय बन चुकी है। बीते तीन सालों में यहां 91 से अधिक लाशें मिली हैं, जिनकी हालत इतनी खराब होती है कि रूह कांप जाती है।


कोंडली की 'खूनी नहर' – मौतों का रहस्यमयी अड्डा


पूर्वी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी इस नहर में अक्सर लाशें मिलती हैं। आंकड़ों की मानें तो पिछले तीन वर्षों में यहां औसतन हर महीने दो से तीन शव बरामद हुए हैं। इनमें महिलाएं, युवक, बच्चे सभी शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि इन शवों में से अधिकतर की पहचान नहीं हो पाती।


शवों की हालत देख सिहर उठते हैं लोग


जिन शवों को नहर से निकाला गया, उनकी हालत देखकर ये साफ हो जाता है कि वे कई दिनों से पानी में रहे हैं। किसी की खाल गल चुकी होती है, तो किसी के चेहरे की बनावट तक बिगड़ जाती है। कई शवों पर टैटू मिले हैं, जिन्हें पुलिस पहचान के लिए इस्तेमाल करती है – लेकिन सफलता सीमित ही रही है।


हत्या, आत्महत्या या मानव तस्करी?


यह सवाल अब एक गूढ़ पहेली बन चुका है – आखिर इतने शव इस एक नहर में क्यों मिल रहे हैं? क्या यह किसी बड़े आपराधिक गिरोह का काम है? क्या यह आत्महत्या का स्थल बन चुका है? या फिर किसी अन्य गंभीर अपराध जैसे मानव तस्करी से जुड़ा मामला है?


पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई


दिल्ली पुलिस का दावा है कि वह हर शव की जांच करती है, पोस्टमॉर्टम कराया जाता है और आसपास के थानों से लापता लोगों की सूची मिलाई जाती है। लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद, इन मामलों का कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है। कभी-कभी शवों के साथ कोई सामान या कपड़ा मिलता है, जिससे पुलिस पहचान करने की कोशिश करती है, लेकिन वह भी नाकाफी साबित होता है।


स्थानीय लोगों में डर और बेचैनी


कोंडली नहर के पास रहने वाले लोग अब इस जगह से कतराने लगे हैं। बच्चों को अकेले बाहर नहीं जाने दिया जाता, और लोग सूरज ढलने के बाद इस ओर जाने से बचते हैं। नहर के पास से गुजरते समय लोगों को डर सताने लगता है कि कहीं आज फिर कोई शव न दिख जाए।

समाज की भूमिका और ज़िम्मेदारी


इन घटनाओं से सिर्फ पुलिस या सरकार की नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी बनती है। जब कोई व्यक्ति लापता होता है, तो परिजनों को तत्परता से रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए। साथ ही, अगर किसी को संदिग्ध गतिविधि नजर आती है, तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष


दिल्ली की 'खूनी नहर' अब एक चेतावनी बन चुकी है – एक ऐसी जगह, जो रहस्यमयी मौतों की गवाह है। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर इस गुत्थी को सुलझाना होगा। जब तक इस नहर की सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक हर शव एक

 अनकही कहानी, एक अधूरी पहचान और एक सवाल बना रहेगा।

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