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RBI के नए नियम: अब चेक क्लियरेंस सिर्फ घंटों में – जानिए फायदे और सावधानियाँ"

  RBI के नए नियम: अब चेक क्लियरेंस सिर्फ घंटों में – जानिए फायदे और सावधानियाँ" परिचय बैंकिंग की दुनिया में अब बदलाव की राह दिखने लगी है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे चेक क्लियर होने का समय अब केवल दो दिनों तक सीमित नहीं रहेगा। यदि आप चेक उपयोग करते हैं, तो यह सूचना आपके लिए बेहद जरूरी है। RTC (Continuous Clearing)… एक क्रांतिकारी सेवा नया सिस्टम क्या है? RBI ने फेज़-1 में 4 अक्टूबर 2025 से और फेज़-2 में 3 जनवरी 2026 से, “Continuous Clearing and Settlement on Realisation” नामक सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। इस बदलाव से अब चेक क्लियर करने का समय घटकर घंटों में हो जाएगा—जिसकी शुरुआत सिर्फ दो कार्य दिवस तक के समय से होती है । फेज़-1: क्या होगा? चेक 10 AM से 4 PM के बीच बैंक को जमा करवाने पर तुरंत स्कैन करके क्लियरिंग हाउस को भेजा जाएगा। भुगतान बैंक को 7 PM तक चेक के सम्मान (honour) या अस्वीकृति (dishonour) की जानकारी देनी होगी। यदि उत्तर नहीं मिलता, तो चेक स्वतः ही स्वीकृति मान लिया जाएगा और क्लियर हो जाएगा । फेज़-2: T+3 घंटे का आश...

वट सावित्री व्रत 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास संयोग

वट सावित्री व्रत 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास संयोग<script async="async" data-cfasync="false" src="//pl26745597.profitableratecpm.com/7a21cfbe2afb55357be74e13c2bab709/invoke.js"></script> <div id="container-7a21cfbe2afb55357be74e13c2bab709"></div>


वट सावित्री व्रत 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास संयोग

वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत सुहागन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। इस दिन वट (बरगद) वृक्ष की पूजा की जाती है और सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण किया जाता है।

वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और दिन

  • तारीख: शुक्रवार, 30 मई 2025
  • अमावस्या तिथि आरंभ: 29 मई 2025, रात 11:27 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 30 मई 2025, रात 9:19 बजे

व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त

पूजन समय: प्रातः 6:00 बजे से 8:30 बजे तक

इस समय वट वृक्ष के नीचे बैठकर महिलाएं पूजन करती हैं और सात बार परिक्रमा करती हैं।

व्रत का महत्व

सावित्री और सत्यवान की कथा इस व्रत का आधार है, जिसमें सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु के मुंह से यमराज से वापिस लाया था। यह व्रत पतिव्रता धर्म का प्रतीक माना जाता है और महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य की प्राप्ति का साधन भी।

व्रत करने की विधि

  1. स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. वट वृक्ष के नीचे जाकर जल चढ़ाएं और दीप जलाएं।
  3. रोली, चावल, फूल, सूखे मेवे और मिठाई चढ़ाएं।
  4. सात बार वट वृक्ष की परिक्रमा करें और धागा बांधें।
  5. सावित्री सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें।
  6. पति से आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन करें।

पूजन सामग्री

  • रोली, अक्षत (चावल)
  • फल, फूल, मिठाई, जल का लोटा
  • धागे की माला (सात गांठ वाली)
  • सावित्री सत्यवान व्रत कथा पुस्तिका

वट सावित्री व्रत 2025 के विशेष योग

इस बार व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, जो कि मां लक्ष्मी को समर्पित दिन है। साथ ही अमावस्या तिथि का शुभ संयोग इसे और फलदायी बनाता है। शुक्र और चंद्रमा का विशेष योग वैवाहिक जीवन में प्रेम व समर्पण को बढ़ाने वाला माना जाता है।

व्रत से जुड़ी मान्यताएं

  • इस व्रत से पति की उम्र लंबी होती है।
  • वैवाहिक जीवन में प्रेम व विश्वास बना रहता है।
  • अखंड सौभाग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

वट सावित्री व्रत 2025 का पर्व विशेष संयोगों के साथ आ रहा है। यह दिन श्रद्धा, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। सभी सुहागन महिलाएं इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखें और अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कामना करें।

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